मन को बनाओ न कारागार
चल उठ चल, चल उठ चल
कर कर्म से सबको साकार
अपने सपनों को दो आकर
कर उठेंगे लोग जय जयकार
दूर करले अपना मनोविकार
अब ना कर किसी का इंतज़ार
उठाकर चलता जा अपना भार
खोजले हैं जो तुझमें सारा सार
बनाकर उसको अपना आधार
मन को बनाओ न कारागार
चल उठ चल, चल उठ चल
कर कर्म से सबको साकार
अपने सपनों को दो आकर
कर उठेंगे लोग जय जयकार
दूर करले अपना मनोविकार
अब ना कर किसी का इंतज़ार
उठाकर चलता जा अपना भार
खोजले हैं जो तुझमें सारा सार
बनाकर उसको अपना आधार
Sanjay Sathi is a contemporary writer & storyteller, based in India
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