Kafas

अपनी गहराई में उतरके खुदका झूला झूल

हर  फूल की  खुशबु  अलग है  ये मत भूल

 

सब  फूल हर  मौसम  में सदा नहीं खिलते

सब जगह  वही  फूल  हमेशा  नहीं मिलते

 

जंग तो  अनवरत चल  रहा है  जिंदगी में

जद्दोजहत  में न कोई  कमी होनी चाहिए

 

दुश्वरियाँ तो अहम हिस्सा है कामयाबी का

इसमें न कोई फिर कभी भरम होना चाहिए

 

दुनिया तानों  से तराशती  रहती है  हरदम

पर हर पत्थर से खुदा का मूरत नहीं बनता

 

जिंदगी में  सबकी  लड़ाई  अपनी- अपनी है

पर कफस से बाहर आने लड़ाई होनी चाहिए

 

जो क्यों कब कहाँ कैसे मुस्कुराना जानता है

वो हरदम सबको  जीतने का हुनर जानता हैं

 

कफस = पिंजरा

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