Ek samander (gazal )

 

 

 

उनकी आँखों को जब हमने देखा 

 

उसमें छलकता एक समंदर नजर आया 

 

डुबकी लगाई हमने उसमें 

 

पर हमको न कोई किनारा नज़र आया 

 

मत मुदों अपनी आंखों को  तुम 

 

हम गुम हो जाएंगे

 

ज़रा निगाहें उठा के इधर तो देखो 

 

हम अपने को पाएंगे

 

आईना बनके आप हमारी 

 

राहें हमको दिखलादो

 

क्या है हम ? 

 

हमसे बातें करके सिखलादो

 

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