हमने मांगा था वक़्त उसे फुर्सत में
उसने याद किया हमें रुखसत में
कैसे कहें जमाने को अल्फ़ाज़ से
जल रहें हैं हम किस आग से ……..
अब अंधेरा नहीं मन के कोने में
पर चैन भी नहीं आता है सोने में
पाने की हसरतें अब नहीं रहीं
मजा आ रहा है सबकुछ लुटाने में …….
हमने मांगा था वक़्त उसे फुर्सत में
उसने याद किया हमें रुखसत में
कैसे कहें जमाने को अल्फ़ाज़ से
जल रहें हैं हम किस आग से ……..
अब अंधेरा नहीं मन के कोने में
पर चैन भी नहीं आता है सोने में
पाने की हसरतें अब नहीं रहीं
मजा आ रहा है सबकुछ लुटाने में …….
Sanjay Sathi is a contemporary writer & storyteller, based in India
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