Kuchh Naya kar | कुछ नया कर

A man standing triumphant on a beach in New Romney while looking out into the water

अभाव में ही बनता स्वभाव 

जीवन से  ना  हो  अलगाव 

निज अंतस में जला अलाव

आत्मशक्ति को  दे  फैलाव ।

 

इंद्रियों  को  कर संगठित 

विपत्ति से न हो विघटित

बारम्बार  कर  प्रहार

सपनों को कर साकार ।

 

मुसीबतों  में  तू  निखर 

लगा अपनी बुद्धि प्रखर

ढूंढ नित नव अवसर 

दिखा जौहर कुछ नया कर ।

 

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