Ham is Duniya me aaye the

 

हम इस दुनियां में आये है फ़कीर नंगा

देखके तब  हमें जग वाले थे बड़े चंगा ।

 

लिबाज़ के साथ हमें न जाने क्या- क्या पहनाया ?

कहीं सिक्ख ,ईसाई, हिन्दू ,कहीं मुसलमां बनाया ।

 

जिन्होंने  कभी  देखा  नहीं  है खुदा को 

सोचता हूं उन्होंने खुदा को कैसे बनाया ?

 

अरे भाई  खुदा  तो मिलता है  खुदाई में

फिर क्या रख्खा है मज़हब की लड़ाई में ?

 

सबके लिये एक ही है सूरज- चाँद ,धरती -आसमान

अलग- अलग लिबाज़ में नजर आते हैं क्यों भगवान ?

 

समझ नही आता खुदा ने हमको बनाया 

या हमने  खुदा को  अपने  लिये  बनाया ।

 

जैसा चाहा मनमाफ़िक लिवाज़ पहनाया 

ये तेरा  खुदा  है, ये  मेरा  खुदा है बताया ।

 

बाँट डाले हमने इंसानियत को जो खुदा को बांटा

दंगा -फसाद , लड़ाई- झगड़े  के शिवा क्या पाया ?

 

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