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Jhul gaye kuch lekar armaan | झूल गए कुछ लेकर अरमाँ

 

 

झूले गए कुछ लेकर अरमां

तेरे बेटे भारत मां  

आई जब फांसी की घड़ी थी 

होठों पर थे उनके ऐसे मुसकां

मौत भी सहमी सहमी खड़ी थी 

मौत भी सहमी सहमी खड़ी थी

झूल गए कुछ …….. 

 

सोचा नहीं उन्होंने क्या खोया था 

उनके जाने से पूरा भारत मां रोया था 

झूल गए कुछ ………

 

सोचना होगा किया क्या हमने ? 

क्या-क्या थे जो उनके अरमां ?

झूल गए कुछ………

 

आओ जाने उनको माने हम लें लें सभी ये प्रण 

उनके अरमानों को पूरा करें हम 

झूल गए कुछ………….

 

किया जो उन्होंने सब कुछ अर्पण

उन शहीदों को है शत-शत  नमन 

झूल गए कुछ ……….

 

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