Jivan – Mrityu

 

 

उदयाचल से अस्ताचल तक चलते जाना है जीवन 

 

मृत्यु है एक नींद गहरी भोर का पल भी आना है 

 

अस्ताचल से उदयाचल तक चलते जाना है जीवन 

 

अच्छा जीना है अच्छा मरना ,अच्छा मरना है अच्छा जीना 

 

करो अच्छाई या मरो अच्छे से, जग में जीवन संवर जाना 

 

जीवन- मृत्यु के फेर से फिर काहे को घबराना है 

 

उदयाचल से अस्ताचल तक …..

 

जीत मिले तो मत इतराना ,  हो हार तो ना घबराना 

 

हार में जीत को ढूंढना फिरसे ,जीतने वाले भी हारे हैं 

 

उदयाचल से अस्ताचल तक …..

 

मौसम की तरह बदलता है सब ठहरता सदा कुछ नहीं 

 

कार्यों का अंबार खड़ा है आना जाना है अविराम

 

उदयाचल से अस्ताचल तक ………

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