Sakshatkar

 

 

साक्षात्कार

 

देख रहे मुझे कई अक्ष

 

ढूंढते मेरा क्या है लक्ष्य 

 

रख रहा हूं अपना पक्ष 

 

बैठे हुए उनके समक्ष । 1

 

एक छोर मै एक छोर वो 

 

मंथन हो रहा घनघोर जो 

 

अमृत की सबको तलाश 

 

उसकी ही हो रही  बात । 2

 

वह पूछते प्रश्न  के उत्तर 

 

जवाब देता मैं  हो मुखर 

 

बैठे  वह  पंच   महाभूत 

 

साधता लक्ष्य हो एकजुट । 3

 

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