Tazurbaa | तज़ुर्बा

man sitting on trike

उसे यूँही नही कहते है उम्रदराज 

उसके  पास हैं  बहुत  सारे  राज 

पूछोगे जाकर तभी  तो बताएगा

न पूछोगे तो समझ कैसे आएगा ?

उसके बाल युहीं नही हुए हैं सफेद

समझो  उसके  आप  क्या है भेद ?

बहाया है इसके लिए अपना स्वेद

पाया गुढ़ रहस्य अंतर्मन को भेद ।

घाट- घाट का पानी वह पी चुका है

मर- मर के कई दफे वो जी चुका है

जीवन – मृत्यु हैं उसके लिये उत्सव

पी लिया मेहनत से कर्म का आसव ।

उसे यूँही नही कहते हैं उम्रदराज

बहुत  हैं  जीवन  जीने  के साज

हर वक्त जूझने वह रहता तैयार

क्या जीत क्या हार सब त्योहार ।

आईना है  वह, है  तजुर्बे की खान

खुदको  खोदकर  पाया  है  इंसान

दिन या रात हैं उसके  लिए समान

भीड़ से अलग बना चुका पहचान । 

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