Banke Dariya | बनके दरिया

body river surrounded by dress

बनके  दरिया  हुं  बहने  लगा 

जिधर तू चली उधर बह चला 

तू जो मुड़ी मैं झील सा ठहरा

सहसा चल पड़ी जो तू  कहीं 

झरना बन  बहते  गिरता रहा

कह ना पाऊं हुं कितना गहरा 

खोजता रहूँ तुझे शाम- सवेरा 

चाहूँ करना पल- पल मैं बात 

चाहे दिन हो चाहे  होवे  रात 

दिलबर  हरपल  हो हम साथ 

एक दूजे के लिए हैं हम सांस 

बनके दरिया हुं ………

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