Aadi ka sapna | आदी का सपना

boy wearing blue dress shirt

आदि कक्षा 5 वी मैं पढ़ता है , वह बहुत ही शरारती और खुशमिजाज बच्चा है। परंतु पढ़ने में वह मनमौजी और कम ध्यान देने वाला विद्यार्थी है इसी कारण उसे रोज घर एवं विद्यालय में डांट खानी पड़ती है। रोज की भांति आदि आज भी सुबह देर तक सोते हुए आराम से उठा। यह उसकी आदत है जिसके लिए उसे रोज घर में बातें सुनना पड़ता है। आदि को आज कुछ ज्यादा ही उसके पिताजी एवं मम्मी ने सुना दिया। खिन्नता मन से वह आज स्कूल आया स्कूल में भी आज वह उखड़ा उखड़ा सा था इस पर भी उसे बहुत डांट खानी पड़ी।  आज उसका ध्यान कहीं एकाग्र नहीं हो पा रहा था, नहीं वह मनमौजी की तरह था।

वह आज थोड़ा परेशान हैरान  है ऐसा दिखाई पड़ रहा था । वह सोच में पड़ गया कि रोज  मैं क्यों डांट खाता हूं चाहे वह घर हो या विद्यालय। क्या मुझे कोई प्रेम नहीं करता ?  क्या मेरी मां हमेशा मुझे डांटती ही रहती रहेगी ? यह सवाल उसके मन में उठने लगे कुछ देर बाद उसके दोस्त उसे खेलने के लिए मनाने लगे। थोड़ी देर बाद वह खेल में मशगूल होता हुआ इन सब बातों को भूल कर पुनः खेलने लगा । खुश होकर घर लौटा और वही मनमौजी पन वही खुशमिजाज।  आदि अपने दादा दादी से बहुत प्रेम करता है । वह किसी की बातों को ध्यान से सुनता न था सुनता था पर उसमें अमल ना करता था अड़ियल रवैया जिसे लोग हमेशा कहते थे पर उसे इसकी कोई परवाह नहीं थी । वह अपनी नजरों से सब कुछ देखना चाहता है ऐसा लगता है जो मन करे, जो मन में आए वह करने लग जाता है । वह कभी-कभी अपनी उम्र से बड़ी- बड़ी बातें करता है ऐसे लगता है जैसे वह बहुत बुद्धिमान है परंतु वहीं वह ऐसी नादानियां और शरारते भी करता है जिससे लगता है कि यह कुछ नहीं जानता, यह निहायत ही बेवकूफ है ऐसा सबको प्रतीत होता ।

रोज की भांति आज जल्दी खाना खाते हुए आदी  सो गया । सोते हुए वह आज सुबह जब उसकी मम्मी उठाने आई तो बहुत मुस्कुरा रहा था । आज वह जल्दी उठ गया था , यह व्यवहार देखकर उसकी मम्मी और पापा हतप्रभ हो गए । उसकी मम्मी ने आदि से पूछा कि बेटा आज तुम जल्दी कैसे उठ गए तभी आदि ने कहा मम्मी आज मैं एक बहुत बड़ा आदमी बना था । यह बात मम्मी को अटपटा लगा वह पूछ बैठी कैसे कितने समय तब आदि ने बोला कि आज मैंने एक सपना देखा और सपने में मैं बहुत बड़ा आदमी बन गया हूं, सब मुझे नमस्ते कर रहे हैं। हर कोई मेरी बातों को ध्यान से सुन रहे थे, सभी लोग मुझे बड़े ध्यान से देख रहे थे। ऐसा मैंने देखा इसलिए आज मैं बहुत जल्दी उठ गया । तभी उसके पापा जी ने उसको कहा कि तुम खाली सपने ही देखते रहोगे कुछ करना तो है नही ।सपने देखते हो कलेक्टर बनने के और काम करते हो मुंगेरीलाल के याने तुम्हारे सपने मुंगेरीलाल के सपने हैं । ऐसा कहते हुए हंस कर पिताजी उपेक्षा की दृष्टि से उसको देखने लगे और उसकी मम्मी भी साथ देने लगी । आदि के पिताजी की ये बातें उसके दादा सुन रहे थे । दादाजी को समझते देर न लगी वह आदि के पास जाकर बोले कोई बात नहीं बेटा सपने देखना बुरी बात नहीं है।

सपने देखना चाहिए पर हमें सपने खुली आंखों से भी देखना चाहिए।  जिसको हम पूरा कर सकें यह बातें आदि के दादाजी ने उसे बताया और पूछे कि तुम आज सपने में कौन सा बड़ा आदमी बने थे । तभी आदि ने बताया कि आज मैं बहुत बड़े गाड़ी से जा रहा था मेरे पीछे बहुत सारे लोग थे । ये मुझे सब नमस्ते कर रहे थे सभी मेरी ओर देख रहे थे। यह बातें हैं आदि के दादा जी को समझते देर न लगी।  बेटा तुम तो सपने रोज सोते हुए देखते हो पर तुमने क्या कभी अपने सपनों को लेकर सोचा है । छोटा सा कक्षा 5 में पढ़ता आदि यह बात आसानी से नहीं समझा । अपने दादा जी से वह पूछा कि आप क्या सोचते थे अपने सपने को लेकर । तभी उसके दादाजी ने बताया अपनी पत्नी रुक्मणी से कहते हुए कि देखो आदि आज हमारे सपनों के बारे में हमें पूछ रहा है आओ हम अपने आदि को सपने देखना सिखाएं । सपने हमने कैसे देखे हैं और उसे पूरा कैसे किया और पूरी बातें आदि के दादा एवं दादी ने बताया कि हमने कैसे काम किए थे कैसे पढ़ाई करते हुए अपने सपने देखें और उसको पूरा किया और कैसे इस मुकाम पर पहुंच गए । आज आदी बड़े ध्यान से सुन रहा था इन बातों को, वह खुश भी था, पर उसकी खुशी में आज एक सयाना पन नजर आ रहा था , वह स्कूल चला गया ।

स्कूल जाते हुए भी आज उसका सपना मन में बना रहा और शांत बैठा था । आदि की स्कूल मेम इन सब बातों को ध्यान दे रही थी । तभी  आज उसकी व्यवहार को नोटिस करते हुए पूछी आदि आज तुम बहुत खुश हो और परेशानी भी नहीं कर रहे हो क्या बात है । आदि चुप रहा कुछ नहीं बोला कालखंड खत्म हुई तब उसकी मैम के पास वह जाकर बोला मैम आज मैंने एक सपना देखा और सपने में ऐसा देखा । उसकी मैम ने कहा बेटा सपना देखना अच्छी बात है और उस सपने को पूरा करना उससे भी  अच्छी बात है । यह बातें आदि को पुनः सोचने पर मजबूर कर दिया । आदि  ने पूछा मैम मैं बड़ा आदमी कैसे बन सकता हूं ? मुझे बताइए यह सवाल आदि के मुंह से सुनते हुए मैम हंसते हुए चली गई । परंतु आदि आज मैम से यह सवाल बार-बार पूछने लगा । उसकी मैम को भी यह थोड़ी देर बाद आश्चर्य हुआ और वह रुकते हुए एकांत में बैठकर आदि से बातें करने लगी बोली तुमको बड़ा आदमी बनना है तो तुम्हें कलेक्टर बनना होगा । कलेक्टर कैसे बनते हैं ? कलेक्टर कौन होता है ? कलेक्टर क्या करता है  ? कलेक्टर कि क्या सभी बात मानते हैं ? ऐसे बहुत सारे प्रश्न आदि के मन में उठने लगे और वह अपने मैम से पूछने लगा । सारे सवालो का उत्तर आज मेम उसे बताने लगी । आदि भी ध्यान से सुने लगा । तभी धीरे-धीरे स्कूल की घंटी बजने लगी और अंततः छुट्टी हो गई । आज आदि  पुनः घर गया और उन बातों को सोचते हुए सो गया । आज शांत है आदि , उसके व्यवहार में परिवर्तन दिखाई दे रहा है । घर में आज ना चहल कदमी है ना  शोर शराबा ना ही वह धमाचौकड़ी । सबको अजीब लग रहा है क्योंकि इन सब की आदत उनके घर वालों को हो चुकी थी ।

आदि आज पुनः अपने दादा दादी से बातें करते हुए सो गया जल्दी और सोने के बाद  आज फिर जल्दी उठ गया और वह जल्दी उठने के बाद जिन कामों को करने के लिए रोज गाली खाता था उन सारे कामों को करने लगा । इन कामों को करने के बाद वह जल्दी अपने मन से स्कूल तैयार हो गया । सभी घर के लोग आज पुनः आश्चर्य से भर गए । ये सारी बातें अडोस पड़ोस में भी बड़ी तेजी से चर्चा का विषय बन गई । रास्ते में जाते हुए आदि कलेक्टर की गाड़ी जहां सामने लिखा हुआ था  कलेक्टर उसको देखा । वह गाड़ी अपने बंगले की ओर जा रही थी ।  आदि उसको देखते हुए स्कूल जाना भूल गया और वह उसी बंगले की ओर चलने लगा , चलते-चलते थोड़ी देर में वह कलेक्टर  बंगला के पास पहुंच गया। कलेक्टर बंगले के पास बैठा गेटकीपर जैसे ही आदि जाने के लिए हुआ पूछने लगा कहां जाओगे आदि थोड़ी देर देखता रहा और उसको बोला मैं कलेक्टर सर के पास जाना चाहता हूं , किस काम से ? उसको देखते हुए गेट कीपर समझ गया कि स्कूल का विद्यार्थी है ।  उसको पूछा तुम कौन से स्कूल में पढ़ते हो ?  तुम्हारे माता पिता जी का नाम क्या है ?। आदि ने स्कूल का नाम बताया अपने मम्मी पापा का नाम बताया । तभी कलेक्टर सर कुछ काम से बाहर आ रहे थे कि उनकी नजर आदि पर पड़ी आदि कलेक्टर सर को देखते हुए जोर से आवाज लगाया कलेक्टर सर कहके ।  सर मैं आपसे मिलना चाहता हूं इस बात पर गेट कीपर नाराज होते उसको झिड़की लगाई कलेक्टर सर ने उसको रोकते हुए इशारों से गेटकीपर  से पुझे क्या बात है । यह बच्चा कौन है ? तभी गेट कीपर ने सारा वाकया कलेक्टर सर को  बताया सर की यह बहुत देर से आपसे मिलने की आग्रह कर रहा है। कलेक्टर सर ने आदि को देखते हुए  गेट कीपर को बोले गेट खोलिए और उसको अंदर लेते हुए चले गए ।

आदि ने कलेक्टर सर को नमस्ते करके पूछा । सर आप क्या काम करते हैं ? आप कलेक्टर कैसे बने ? क्या आपका बात सभी लोग मानते हैं  ? आपके घर में और कौन-कौन रहते हैं ?  ऐसे बहुत सारी बातें बहुत सारे प्रश्न आदि ने कुछ ही समय में पूछ  डाले । इन सारे प्रश्नों को सुनते हुए कलेक्टर सर मुस्कुराए और खुश होकर बोले  बेटा सारे सवालों का जवाब मैं तुम्हें धीरे-धीरे दे पाऊंगा । तुम एक – एक करके प्रश्न पूछते जाओ यह कहते हुए कलेक्टर सर  आदि को सारे प्रश्न के जवाब देने लगे । कलेक्टर सर के घर में भी इस वाकया को देख कर कौतूहल का माहौल रहा । आदि के सवालों में आज एक अलग अहसास है, उसके पूछने के अंदाज ने सभी को आश्चर्य किया हुआ है । चाय पीने के बाद कलेक्टर सर ने अपने काम को जिसके लिए जा रहे थे फोन करते हुए बोल दिए कि आज मैं थोड़ा लेट आऊंगा पटेल आप देख लो । आदि यह सब बातें सुन रहा था । आदि से  बात करते हुए कलेक्टर सर ने कहा आदि को चलो मैं आपको अपना बंगला दिखाता हूं। आदि को घुमाते हुए  कलेक्टर सर ने पूरी बंगले की बातें बताई । पूरे बंगले के सैर कराया उसके बाद अपने परिवार के सदस्यों से  मिलवाया । कलेक्टर सर के परिवार को भी लगा कि आज हमारे पास कोई अनोखा मेहमान आया है । सभी आदि और कलेक्टर सर की बातों को बड़े ध्यान से सुन रहे थे ।

बात करते करते काफी देर हो चुका था इन सारी बातों के बाद कलेक्टर ने पूछा आदि तुम्हारा स्कूल कितने बजे है ?  कितने बजे छुट्टी होती है ? कलेक्टर सर को लगा कि उनकी मम्मी पापा परेशान  हो रहे होंगे ,उसको ढूंढ रहे होंगे यह सोचते  हुए आज आदि को कलेक्टर सर ने कहा आज आप मेरी सीट में बैठो बोलते हुए पीछे बैठे ।  कलेक्टर की सीट में आदि को बिठाया और उसको कहा आज तुम 1 दिन के लिए कलेक्टर हो और वह उसके घर छोड़ने के लिए चले गए आज आदि अपने आप को कलेक्टर बनता हुआ पाया ।  मोहल्ले के सभी उसको ढूंढ रहे थे  तभी देखे कि कलेक्टर सर की गाड़ी आ रही है सभी चकित रह गए  उसमें से आदि को उतरते हुये देखकर । सब हैरान उसकी ओर देखने लगे काफी भीड़ जमा हो  गया कलेक्टर सर गाड़ी  से उतरते हुए आदि को उसकी मम्मी पापा के पास पहुंचाए और सभी जनता का अभिवादन स्वीकार करते हुए तुरंत अपनी गाड़ी में बैठ कर चले गए यह घटना आदि के मन मस्तिष्क में एक गहरी छाप छोड़ती हुई उसकी नटखट मनमौजी पन जिसको लोग अड़ियल रवैया कहते थे वह आज कहीं न कहीं धीर और गंभीर हो चला। उसके बाद से उसके मन में पढ़ने की ललक जाग गई और वह अपने सपने की ओर निकल पड़ा पूरा करने । वही सपना जिसको उसके पिताजी ने उपहास की दृष्टि से देखा था, वही सपना जिस को उसके दादा ने दादी ने बताया था कि हम खुली आंखों से सपने कैसे देखते हैं, वही सपना जो उसके मेम ने आदि को  बताया था बातचीत करते हुए कि कैसे सपनों को पूरा किया जाता है और उसके लिए क्या करना पड़ता है। बड़ा आदमी बनने के लिए क्या करना चाहिए,  यह सारी बातें आज उसने आत्मसात करते हुए सपने को पूरा करने निकल पड़ा । 

 

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