• Home
  • Blog
  • Literature
  • Kalpanaon me hakiqat | कल्पनाओं में हक़ीक़त

Kalpanaon me hakiqat | कल्पनाओं में हक़ीक़त

 

 

कल्पनाओं में आ हकीकत को मिलके हम दोनों ढूंढें 

खो जाएं सपनों की दुनिया में 

ये सारा जहां है, ये किसी की कल्पनाएं 

कल्पनाओं में आ ……..

 

आओ आंखों  से देखें, देखके  कुछ  सीखें 

करके कुछ नया हरदम, हकीकत को परखें 

सीखें और सिखाएं ,सदा हम मुस्कुराए 

कल्पनाओं में आ ……….

 

कल्पनाओं से हमने  सब कुछ है बनाया 

सच को खोजा , ख्यालों में खोके कहीं

तसव्वुर से संवारा है,  हमने ये दुनियां 

कल्पनाओं में आ ………..

 

जिंदगी क्या है ?  जीना है कैसे ?  

सबको प्रेम से हम जी कर बताएं

अंधियारी डगर में ,  मुश्किल सफर में 

आशाओं के दीपक सदा हम जलाये

 कल्पनाओं में आ……….

 

जिंदगी है कल्पना ,  कल्पना है जिंदगी 

आओ मिलकबकरते हैं जिंदगी की बंदगी 

बंदिशों को तोड़े नया कुछ जोड़ें 

करके कुछ नया हरदम तजुर्बा बढ़ाएं

 

कल्पनाओं में आ ……….

 

कितने साँचे बनाये हमने, खुदको ढाला उसमें

इरादों को भी है हमने, मुश्किल से पाला इसमें 

ख़यालों में राहें पाई , जीवन है मुस्कुराई

अंदाज है अपना अपना,  जिंदगी है एक सपना 

कल्पनाओं में आ ………

 

Comment

There is no comment on this post. Be the first one.

Leave a comment