Bavandar | बवंडर

silhouette of person jumping under tree

मन में जो भी आया सब लिख डाला

वक़्त जब भी मिला खुदको खंगाला

यादों के लू चले, कभी वर्षा की झड़ी

भाप बनके जिंदगी परीक्षा लेने खड़ी ।

 

परिस्थितियां कितनी भी विपरीत हो

दिल में  हरदम  प्रीत  का ही गीत हो

चले  कितना भी नफ़रत का  बवंडर

मुस्कुराते रहूंगा सदा बनके  समंदर ।

 

शोर को साज में बदलना भी हुनर है

ख्वाहिंसे टकराती रहेंगी सबके अंदर

जलना भी  लौ  की  तरह  जिंदगी है

दिल को बनाके रखो मोम का समंदर ।

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