Vajah | वजह

man walking on brown grass field

गर ढूंढू मैं वजह तुमसे बात करने के लिए

फिर किसके पास जाऊं झोली भरने के लिए

 

जो हंथेली पे अपनी जान रखके चलते हैं

नही सोचते वो फिर वतन पे मरने के लिए

 

जिसने बसा रखा है अपने दिल में इंसानियत 

कभी लड़ता नहीं इंसानों से अपने धर्म के लिए

 

जो गाता है अपने दिल से मौसम का तराना 

वो डरता नहीं कभी बरखा , सर्द, गर्म, के लिए

 

जानता है जो हरदम खुशी का राज़

वो रोता रहता नही है किसी भी दर्द के लिए 

 

जिसने ताउम्र गुजारी है फकीरी में रात

वो मरता नही है किसी भी धन दौलत के लिए

 

हकीकत जानता है जो यहां जिंदगी का

लुटाता है  सब कुछ किसी की हंसी के लिए

 

Comment

There is no comment on this post. Be the first one.

Leave a comment