Jindagi ki patang | ज़िन्दगी की पतंग

खामोशी तेरी 

कुछ कह रही है सदा 

तू क्यों है खफा ?

पास आ पास आ 

जाने है तू कहां ?

जाने है तू कहां ?

पास आ 

क्यों है खफा ?

तुम मुझसे क्यों रूठा है ?

वादे किए तूने सब झूठा है 

पास आ पास आ 

तेरी यादों में खोया हूं 

तुझसे मैं क्या कहूं ?

कैसे कहूं ?

तू सुनता है क्या ?

पास आ पास आ 

क्या-क्या किए थे हमने ?

याद आए हर लम्हा 

जाने तू है कहां ?

पास आ पास आ

याद आए बिताए पल तुझ संग 

देखे थे मिलकर सपनों के कई रंग 

उड़ाया मिलकर जिंदगी का पतंग 

मिलके तुझ संग 

धागे टूटे सब कुछ छूटे 

जाने तू कहां गया ?

खोजता है मन 

तुझको हरदम 

कैसे उड़ा हूं मैं ?

जिंदगी का पतंग 

पास आ पास आ 

 

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