Umra ka Takazaa | उम्र का तकाज़ा

grayscale photography of man's portrait

आदमी  जब उम्र के  ढलान  पर होता है 

उसका अनुभव उसके जुबान पर होता है।

 

बहुत कुछ देखा है हरदम  करके जो सीखा है 

जीवन के अंतिम क्षण में इत्मीनान से होता है।

 

सोच समझकर चलाना चाहिए हमेशा जुबान का तीर

तबाही का आलम अकसर नदी के उफान पर होता है ।

 

खुदको कोई कहाँ  पाता है  जो अक्सर  भीड़ में होता है

दर्द क्या होता है वही जानता है जिसका अपना खोता है ।

 

जो ज्यादा भरा पूरा है छलकता है वही तो बेचारा है

समंदर कहां प्यास बुझायेगा वही तो सबसे खारा है ।

 

सबको याद आएंगे वो लम्हां मंजर जहां जहां गुजारा है

उस  खंजर को कोई  कहां छुपा सकेगा  साथी  अंत में 

जिसने जिसपे उसने कई शख्सियतों को छुपके मारा है ।

 

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